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स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं, स्वतंत्रता मनाएं, प्रेम बढ़ाएं, जय हिन्द

https://www.youtube.com/watch?v=BnFhf7bcfi8

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं, स्वतंत्रता मनाएं, प्रेम बढ़ाएं, जय हिन्द

आज जबकि पूरा देश स्वतंत्र का जशन मन रहा है। आज का दिन हम अपने स्वतंत्र सेनानियों को याद करने के लिए भी यूज़ करते हैं। आज हम उनकी कुर्बानियों को याद करते हैं। लगभग १०० सालों के लम्बे संघर्ष के बाद हमे स्वतंत्र प्राप्त हुई।

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स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं, स्वतंत्रता मनाएं, प्रेम बढ़ाएं, जय हिन्द

आज जबकि पूरा देश स्वतंत्र का जशन मन रहा है। आज का दिन हम अपने स्वतंत्र सेनानियों को याद करने के लिए भी यूज़ करते हैं। आज हम उनकी कुर्बानियों को याद करते हैं। लगभग १०० सालों के लम्बे संघर्ष के बाद हमे स्वतंत्र प्राप्त हुई। बहुत कीमती स्वतंत्रता है। और उस स्वतंत्रा के अंतर्गत उस फ्रीडम के अंतर्गत आप पाएंगे बहुत सारे ऐसे स्वतंत्रा सेनानियों का हाथ है, जिन्होंने शायद वो स्वतंत्र देखी ही है। लेकिन मैं आज आपसे बात करना चाहता हूँ उन सभी स्वतंत्रा सेनानियों ने अपने ह्रदय में भारत की स्वतंत्रा देखी थी। उनको ये पता था कि ये देश स्वतंत्र होगा। आज मैं जब इस देश के युवा से बात करता हूँ, कुछ सपने दीखते हैं उनकी आँखों में। मैं चाहता हूँ कि ये जो हमारी भावी पीढ़ी है, जिसका एक बहुत बड़ा दायित्व है कि वो देश को एक विकसित देश के रूप में परिणीत करें। उसकी स्वतंत्रा तो उसे विरासत में मिली है, लेकिन वो अपनी  स्वतंत्रा का प्रयोग देश के विकास के लिए कर सकते हैं। तीन प्रमुख बेड़ियाँ है जो मैं चाहूंगा आज के युवा से की उन्हें काट दे। अपने आप को स्थगित करे। एक बार जब आप स्वतंत्र हो जाते हैं, एक बार फ्रीडम को एक्वायर कर लेते हैं अपने निजी स्तर पर तो आप राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर सकते हैं। पहले बेड़ी जिसको मैं चाहूंगा जिसे आप काट दें, स्वतंत्र हो जाएँ, वो है वंचन की बेड़ी। डेप्रेविएशन! कई बार हमें  लगता है कि हमे ये नहीं मिली, हमे वो नहीं मिली और ये साड़ी चीज़ें अन्ततः कुंठा का रूप धारण कर लेती हैं। जिसकी वजह से हमारी पूर्ण क्षमता जिससे हम अपनी देश सेवा कर सकते हैं, नहीं कर पाते हैं क्यूंकि हमें लगता है कि हमे शायद ये सारी चीज़ें नहीं मिली। ये सारी की सारी चीज़ें जो हैं ये मूलतः अतीत की अनुपस्थितियाँ हैं अतीत के वंचन हैं, हमे उससे स्वतंत्र करना होगा स्वयं को। दूसरे स्तर पर यदि वर्तमान के सन्दर्भ में बोलूं तो हमे दीखता है कि नीयतिवाद कई बार उसे फेटलिज़्म के रूप में देखते हैं। हम ये मान लेते हैं कि ये हमारी जो अवस्था है ये ऐसी ही है हम इसका कुछ नहीं कर सकते हैं। अपनी स्थिति को स्वीकार करके बैठ जाना ये बड़ा दुर्भाग्य है अगर ऐसा होता है तो। मैं चाहूंगा देश के युवाओं से कि वो अपने आप को इससे स्वतंत्र करें, इससे फ्री करें। तीसरी बड़ी जिसको मैं चाहूंगा काटने की वो भविष्य है। भविष्य में अंग्रेजी में उसे फियर ऑफ़ फेलियर कहते हैं। जिसे आप असफलता का भय कह सकते हैं। ये सफलता का भय जो भविष्य का है हमें जोखिम से दूर रहने की प्रेरणा देता है और चाहता है कि हम जोख़िम से दूर रहें। लेकिन आप सब को पता है कि सफलता जोख़िम के दूसरी ओर ही स्थित है। 


जोखिम लेना होगा। असफलता के भय से आगे बढ़ना होगा। इस बेड़ी को काटना होगा। अगर इस बेड़ी  को आप काट लेते हैं तो आप भविष्य की ओर अग्रसर हो जाते हैं। और फ्रीडम को सही मायने में सेलिब्रेट करने लगते हैं। अगर मैं फ्रीडम को उसके शब्द की उत्पत्ति की तरफ देखूं अंग्रेजी है ये तो गोथिक जर्मन भाषा फ्रेया से निकला हुआ है संभवतः इसके प्रोनन्सिएशन में मुझे कठिनाई हो सकती है। FREI . जिसका बहुत ही इंट्रेस्टिंग अगर देखें हम इसे इसका जो समकक्ष  संस्कृत शब्द है वो प्रियस है। हिंदी में प्रिय या फिर प्रेम है प्यार है। तो अगर हम देश की फ्रीडम की बात करें, तो हम देश के प्यार की बात करते हैं। फ्रेया जो जर्मन शब्द है उसका शाब्दिक अर्थ है टू लव और देश की स्वतंत्रता मतलब देशदेश का प्यार। देश हमारा सिर्फ एक राजनितिक सीमा क्षेत्र नहीं है, देश के अस्तित्व की पूर्ण अभिव्यक्ति है चाहे उसमे हमारी संस्कृति हो, परंपरा हो, लोककृति हो, पर्यावरण हो, जीवजंतु हो। यदि हम फ्रीडम की बात करते है देश के प्रेम की बात करते हैं तो हमे इन सभी घटकों से प्यार करने की आवश्यकता है। देश के अस्तित्व की पूर्ण श्रंखला के प्यार करने की आवश्यकता है और यदि हम देश की फ्रीडम को अगर सेलिब्रेट कर रहे हैं, फ्रीडम का जश्न मन रहे हैं तो हम देश के प्रेम का जश्न मन रहे हैं। शाब्दिक अर्थ में यदि अगर देखा जाए दर्शन के स्तर पर अगर देखा जाए तो फ्रीडम वस्तुतः प्रेम की अभिव्यक्ति है। मै चाहता हूँ आज की जो वर्तमान पीढ़ी है अपने जो बंधनो को जिसको मैंने पहचाना तीन प्रमुख बंधनों को, अतीत, वर्तमान और भविष्य के फेलियर के भय के बंधनों को काटें और देश की सेवा में समर्पित हो जाए।  ये वही पीढ़ी है जो देश को विकसित बनाएगी, उस स्तर पर ले जाएगी जहाँ पर हम विश्व गुरु के रूप में जाने जाते थे।  मैं जानता हूँ कि इसके लिए अनेक मार्ग हो सकते हैं   । देश में अगर सिविल सर्विस का मौका मिलता है तो देश के प्रति जो आपकी प्रेम श्रद्धा या भाव है उसकी अभिव्यक्ति का एक बहुत सुनेहरा अवसर मिलता है । मैं चाहूंगा मैं आवाहन करता हूँ अपने देश के युवाओं का कि आज के दिन पहले तो ये संकल्प ले कि हम अपनी बेड़ियोँ  से स्वयं को स्वतंत्र करें और उसके बाद अपने देश प्रेम की अभिव्यक्ति के रूप में देश सेवा के लिए समर्पित हो जाएँ। हम इसी मिटटी से निकले हैं और इसी मिट्टी में जाने वाले हैं। इससे बड़ा देश प्रेम और कुछ नहीं हो सकता है।  आप सभी को इस स्वतंत्र दिवस पर KSG की पूरी टीम की तरफ से बहुत बहुत मुबारकबाद बहुत बहुत शुभकामनाएं। जय हिन्द!